महिला आरक्षण विधेयक पर मायावती और अखिलेश यादव के एक सुर

नई संसद में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा जारी है। करीब करीब तमाम पार्टियों के नेता अपने अपने विचार रख चुके है। संसद के विशेष सत्र के आज तीसरे दिन कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी ने भी चर्चा में हिस्सा लेते हुए अपनी बात रखी है। उधर उत्तर प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भी बिल को लेकर अपनी राय रखी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्विट कर लिखा कि…नयी संसद के पहले दिन ही भाजपा सरकार ने ‘महाझूठ’ से अपनी पारी शुरू करी है। जब जनगणना और परिसीमन के बिना महिला आरक्षण बिल लागू हो ही नहीं सकता, जिसमें कई साल लग जाएँगे, तो भाजपा सरकार को इस आपाधापी में महिलाओं से झूठ बोलने की क्या ज़रूरत थी। भाजपा सरकार न जनगणना के पक्ष में है न जातिगत गणना के, इनके बिना तो महिला आरक्षण संभव ही नहीं है। ये आधा-अधूरा बिल ‘महिला आरक्षण’ जैसे गंभीर विषय का उपहास है, इसका जवाब महिलाएं आगामी चुनावों में भाजपा के विरूद्ध वोट डालकर देंगी।

वहीं बसपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि इस बिल के मुताबिक आने वाले 15-16 सालों में देश में महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया जाएगा। इस बिल के पास होने के बाद इसे तुरंत लागू नहीं किया जा सकेगा। सबसे पहले देश में जनगणना कराई जाएगी और इसके बाद सीटों का परिसीमन किया जाएगा। जनगणना में काफी समय लगता है। इसके बाद ही यह बिल लागू होगा। इससे साफ है कि यह बिल महिलाओं को आरक्षण देने के इरादे से नहीं लाया गया है बल्कि आगामी चुनाव से पहले महिलाओं को प्रलोभन देने के लिए लाया गया है।

 

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