साल 2029 में लागू हो सकता है वन नेशन वन इलेक्शन,लॉ कमीशन की बैठक में हुई चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते है कि देश में वन नेशन वन इलेक्शन के तहत लोकसभा और राज्यों के विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाए। इसे अंतिम रुप देने व नियम-प्रावधान तय करने के लिए 8 सदस्यीय एक कमेटी बनाई गई। इसके अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं। दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में 23 सितंबर को हुई कमेटी की पहली बैठक में फैसला हुआ कि इस मुद्दे पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के विचार लिए जाएंगे। इस मुद्दे पर सुझाव देने के लिए लॉ कमीशन को भी बुलाया जाएगा। इसके बाद 22वें लॉ कमीशन की बैठक 27 सितंबर को हुई थी। जिसमें वन नेशन-वन इलेक्शन पर चर्चा हुई। विधि आयोग का कहना है कि वह राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाकर या घटाकर सभी विधानसभा चुनावों एक साथ कराने के फॉर्मूले पर काम कर रहा है। माना जा रहा है कि अगर, सब ठीक ठाक रहा तो सभी राज्यों के चुनाव 2029 के लोकसभा चुनावों के साथ कराए जा सकते हैं। गौरतलब है कि 8 सदस्यीय कमेटी में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अलावा बतौर सदस्‍य अमित शाह, अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आज़ाद, एनके सिंह, सुभाष कश्यप, हरीश साल्वे और संजय कोठारी शामिल हैं।

वन नेशन वन इलेक्शन कराने से बड़े पैमाने पर धन और समय की होगी बचत

विधि आयोग ने माना कि वन नेशन वन इलेक्शन के प्रभावी होने से देश का बहुत सारा धन बचेगा। यही नहीं इससे प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों के बार-बार इस्तेमाल करने से भी बचा जा सकेगा।  इसके लिए हमने चुनाव आयोग के साथ विस्तार से चर्चा की है। वहीं, इलेक्शन कमीशन का मानना है कि यदि जरूरी समय दिया जाए, तो वह ऐसी चुनावी प्रक्रिया को लागू कर सकता है। प्रक्रिया के अनुसार लॉ कमीशन द्वारा सभी रिपोर्ट्स केंद्रीय कानून मंत्रालय को सौंपी जाती है। वहां से रिपोर्ट संबंधित मंत्रालयों को भेजी जाती है। हालांकि वन नेशन-वन इलेक्शन पर कमीशन की रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।

वन नेशन-वन इलेक्शन पर और व्यापक चर्चा जरूरी

22वें लॉ कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी का कहना है कि इस मुद्दे पर काम अभी भी जारी है। रिपोर्ट फाइनल करने से पहले कुछ और बैठकें करनी होंगी। आयोग का मानना है कि कुछ संवैधानिक संशोधन इस प्रोसेस को आसान और असरदार बना देंगे। हालांकि कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों ने देश में वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध किया है।

इससे पहले भी देश में वन नेशन वन इलेक्शन के तहत होते थे चुनाव

वर्ष 1951 से 1967 के बीच लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे। 1951-52 में आम चुनाव और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे। इसके बाद 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ हुए। 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं ।वर्ष 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई, इसकी वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा में ‘ब्रेक’ आ गया।

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