कछुओं के बच्चों की तस्करी का हुआ भंडाफोड,तस्करों से 955 कछुआ बच्चों को बचाया गया

राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) ने 30 सितंबर को देश के तीन बड़े शहरों में चल रहे वन्य जीवों के तस्करी का भंडाभोड किया। डीआरआई ने नागपुर, भोपाल और चेन्नई में 6 लोगों को गंगा में रहने वाले विभिन्न प्रजातियों के कछुओं के 955 जीवित बच्चों के साथ धर-दबोचा। इनफोर्मरों से मिले सूचना के आधार पर अधिकारियों ने देश के विभिन्न स्थानों पर छापे मारे और उनसे कछुओं के 955 जीवित बच्चों की जान बचाई।

 

तस्करों के खिलाफ ऐसे की गई कार्रवाई

‘गंगा में रहने वाले कछुओं’ जिनमें से कुछ को आईयूसीएन की रेड लिस्ट और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची I एवं II के तहत खतरे में/ करीब संकटग्रस्त प्रजातियों के रूप में निर्दिष्ट(specified) किया गया है। इनकी अवैध तस्करी और व्यापार में शामिल एक सिंडिकेट के बारे में डीआरआई के अधिकारियों द्वारा खुफिया जानकारी जुटाई गई थी। चूंकि अवैध व्यापार और घटता प्राकृतिक निवास स्थान इन प्रजातियों के लिए बड़ा खतरा है। लिहाजा डीआरआई के अधिकारियों ने देश में विभिन्न स्थानों पर अपराधियों को एक साथ पकड़ने और कछुओं को बचाने के लिए एक देश व्यापी योजना तैयार की। इसी योजना के तहत 30 सितंबर को नागपुर,भोपाल और चैन्नई में कुल छह तस्करों को गिरफ्तार कर इनसे कछुओं की विभिन्न प्रजातियों के 955 जीवित बच्चों को बरामद किया बचाए गए गंगा के कछुओं की प्रजातियां इंडियन टेंट टर्टल, इंडियन फ्लैपशेल टर्टल, क्राउन रिवर टर्टल, ब्लैक स्पॉटेड/पॉन्ड टर्टल और ब्राउन रूफ्ड टर्टल हैं।

 

गिरफ्त में आए अपराधियों को वन विभाग को सौंपा गया

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत प्रारंभिक जब्ती के बाद, अपराधियों और गंगा के कछुओं को आगे की जांच के लिए संबंधित वन विभागों को सौंप दिया गया। यह ऑपरेशन पिछले महीनों से जारी ऐसे ही अन्य कार्रवाईयों की कड़ी का हिस्सा है। अवैध व्यापार, मांस के लिए अत्यधिक शिकार और  घटते प्राकृतिक निवास इन प्रजातियों के अस्तित्व के लिए बड़े खतरे हैं।

Related Articles

Back to top button