जातिय जनगणना के आंकड़ें जारी करने वाला बिहार देश का पहला राज्य,यादव की आबादी 14.26 फीसदी ,राजपूत 3.45 फीसदी, ब्राह्मण 3.65 फीसदी,सबसे कम कायस्थ 0.60 फीसदी
पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.12%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01%, अनुसूचित जाति 19.65%, अनुसूचित जनजाति 1.68% और सामान्य वर्ग 15.52%
तमाम विवादों,कोर्ट-कचहरी और आरोप-प्रत्यारोप के बीच आखिरकार बिहार सरकार ने सोमवार को जातीय गणना के आंकड़े जारी कर दिए। इसी के साथ ही बिहार जातीय गणना के आंकड़े जारी करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36% है जबकि उन्हें नौकरी में मौजूदा आरक्षण 18% दिया जा रहा है। वहीं ओबीसी 27% हैं जिन्हें अभी 12% आरक्षण दिया जा रहा है। मौजूदा समय में बिहार में आर्थिक रुप से पिछडा वर्ग यानी ईबीसी और अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी को मिलाकर 30% के आरक्षण का प्रावधान है। इसमें 18% ईबीसी को और 12% ओबीसी को आरक्षण मिल रहा है। जबकि जाति आधारित गणना के मुताबिक इनकी संख्या बढ़कर 63% हो गई है।
बिहार के मुख्य सचिव ने जारी किया आंकड़ा
बिहार सरकार के प्रभारी मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जातीय गणना पर एक किताब जारी की है। उन्होंने कहा कि बिहार में 2 करोड़ 83 लाख 44 हजार 160 परिवार हैं। इसमें पिछड़ा वर्ग की आबादी 27.12%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01%, अनुसूचित जाति 19.65%, अनुसूचित जनजाति 1.68% और सामान्य वर्ग 15.52% है। बिहार की आबादी में करीब 82 फीसदी हिंदू और 17.7 फीसदी मुसलमान हैं। गौर करने वाली बात यह है कि बिहार में 2011 से 2022 के बीच हिंदुओं की आबादी घटी है,जबकि मुस्लिमों की आबादी में इजाफा हुआ है। 2011 की जनगणना के अनुसार हिंदू आबादी 82.7% और मुस्लिम आबादी 16.9% थी। जबकि बिहार में ईसाई 0.057 फीसदी,सिख 0.011 फीसदी,बौद्ध 0.085 फीसदी और जैन महज 0.009 फीसदी हैं। कुछ आबादी वैसी भी है जो कोई धर्म नहीं मानते ऐसे कुल 0.016 फीसदी है।
बिहार में ये है जातिगत समीकरण
जातिगत आंकड़ों पर गौर करे तो बिहार में यादव की आबादी 14.26 फीसदी है जबकि राजपूत 3.45 फीसदी और ब्राह्मण 3.65 फीसदी हैं। रविदास 5.2 फीसदी,कोइरी 4.2 फीसदी,मुसहर 3.08 फीसदी,भूमिहार 2.86 फीसदी,कुर्मी 2.8 फीसदी,मल्लाह 2.60 फीसदी,बनिया 2.31 फीसदी और सबसे कम कायस्थ 0.60 फीसदी आवास करती है।
बिहार में 13 करोड़ से अधिक आबादी
बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए गणना के अनुसार पूरे प्रदेश की जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है। अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि कुल जनसंख्या में बिहार के बाहर में रहने वालों की संख्या 53 लाख 72 हजार 22 है। जबकि बिहार राज्य में रहने वालों की कुल जनसंख्या 12 करोड़ 53 लाख 53 हजार 288 है। इसमें पुरुषों की कुल संख्या 6 करोड़ 41 लाख 31 हजार 990 है जबकि महिलाओं की संख्या 6 करोड़ 11 लाख 38 हजार 460 है। अन्य की संख्या 82 हजार 836 है। गणना के अनुसार प्रदेश की लिंगानुपात यानी कि 1000 पुरुषों पर 953 महिलाएं हैं।
11-12 सालों में हिंदुओं की आबादी घटी जबकि मुस्लिमों की बढ़ी
जातिय जनगणना के मुताबिक बिहार में साल 2011 से 2022 के बीच हिंदूओं की जनसंख्या कम हुई है। जबकि इस समयावधि में मुस्लिम जनसंख्या में इजाफा हुआ है। आज जारी किए गए जातीय गणना की रिपोर्ट के मुताबिक अभी बिहार में हिंदुओं की जनसंख्या 10 करोड़ 71 लाख 92 हजार 958 है। वहीं मुस्लिम जनसंख्या 2 करोड़ 31 लाख 49 हजार 925 है। 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में हिंदू आबादी 8 करोड़ 60 लाख 78 हजार 686 थी। वहीं मुस्लिम आबादी 1 करोड़ 75 लाख 57 हजार 809 थी।
इस तरह पूरी हुई जातिय जनगणना का काम
तमाम बाधाओं,कोर्ट-कचहरी और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच बिहार के जातिय जनगणना को दो चरणों में पूरा किया जा सका।बिहार में की गई जाति आधारित गणना का पहला चरण 7 जनवरी से हुआ था। इस चरण में मकानों की सूचीकरण जिसमें मकानों को गिना गया और यह चरण 21 जनवरी 2023 को पूरा कर लिया गया था। वहीं इसका दूसरा चरण 15 अप्रैल से शुरू हुआ था।लोगों से डेटा जुटाए गए। दूसरे चरण में परिवारों की संख्या, उनके रहन-सहन, आय आदि के आंकड़े जुटाए गए।