हेल्थ और लाइफ इंसुरेंस प्रीमियम में जीएसटी रेट की तुरंत समीक्षा किया जाना चाहिए,टीएमसी नेता डेरेक ओब्रॉयन ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को लिखी चिट्ठी
हेल्थ और लाइफ इंसुरेंस प्रीमियम में मौजूदा जीएसटी रेट 18 फीसदी की समीक्षा की जरूरत,केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी ने भी वित्त मंत्री से अपील की है
टीएमसी नेता डेरेक ओब्रॉयन ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन को चिट्ठी लिख कर अपील की है कि हेल्थ और लाइफ इंशूरेंस प्रीमियम में मौजूदा 18 फीसदी जीएसटी दर की समीक्षा किया जाना चाहिए। टीएमसी नेता ने कहा है कि 9 सितंबर को आगामी 54 वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस विषय पर अविलंब समीक्षा किया जाना चाहिए। टीएमसी नेता ने अपनी चिट्ठी में जिक्र किया है कि 18 फीसदी प्रीमियम होने से करीब देश के करीब 45 करोड़ मिडिल क्लास लोगों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ा है। चूंकि ये बीमा स्कीम बीमा धारकों व उनके परिवारजनों को संकट के समय वित्तीय सुरक्षा देता है। चाहे वह बीमारियों का ईलाज हो,दुर्घटनाएं हो या फिर असमय मौत। राज्यसभा सांसद ओब्रॉयन ने कहा कि इन परिस्थितियों के मद्देनजर हमारा सामूहिक जिम्मेदारी बनती है कि समाज के सभी वर्गों के ऊपर प्रीमियम का ज्यादा बोझ न डाला जाय।
जीएसटी दर अधिक होने का दूष्प्रभाव अधिक
टीएमसी नेता ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि हेल्थ और लाइफ इंशुरेंस में जीएसटी दर अधिक होने से कई लोग इंशुरेंस स्कीम लेना नहीं पसंद करते है। वहीं अधिकांश मौजूदा बीमाधारक रिन्यू नहीं करना पसंद करते है। उच्च जीएसटी दर से बड़ी आबादी खासकर मध्यम वर्ग पर इसका बहुत प्रतिकूल असर पड़ता है। चिट्ठी में इस बात का भी जिक्र है कि संसद में टीएमसी सहित कई विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने इस बाबत अपनी आवाज उठाई थी। 20 राजनीतिक दलों के 350 सांसदों ने 6 अगस्त को संसद में इसके खिलाफ आवाज उठाई थी। यहीं नहीं इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को चिट्ठी लिख कर प्रीमियम में जीएसटी दर वापस लेने की अपील की है। डेरेक ओब्रॉयन ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितीन गडकरी के उस चिट्ठी का भी हवाला दिया जिसमें भी वित्त मंत्री से हेल्थ और लाइफ इंशुरेंस प्रीमियम में जीएसटी दर की समीक्षा करने की अपील की गई है।
जीएसटी दर में कटौती से हासिल होगा साल 2047 तक इंशुरेंस फोर ऑल का लक्ष्य
टीएमसी नेता ने कहा कि वित्त पर स्टैंडिंग कमिटी ने फरवरी 2024 को संसद में अपने 66वें रिपोर्ट में भी इसका जिक्र किया है। रिपोर्ट में सिफारिश किया गया है कि हेल्थ इंशुरेंस प्रोडक्ट्स प्रीमियम खासकर वरिष्ठ नागरिकों और माइक्रों इंशुरेंस पॉलिसिज(प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत निर्धारित सीमाएं) और टर्म पॉलिसिज पर जीएसटी दर को और अधिक तर्कसंगत और सस्ता किया जाना चाहिए। इरेडा(The Regulatory and Development Authority of India) ने साल 2047 तक इंशुरेंस फोर ऑल का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को तभी हासिल किया जा सकता है जब प्रीमियम पर जीएसटी दर को कम किया जाय या खत्म किया जाय।
किसी रिजोल्यूशन को पास कराने के लिए 75 फीसदी वोट की जरूरत
टीएमसी नेता ने चिट्ठी में लिखा है कि केंद्र सरकार का जीएसटी कांउसिल में वोट वैल्यू एक तिहाई यानी 33 फीसदी होता है। वहीं 22 राज्यों में एनडीए की सरकार है। इस गणना के मुताबिक व्यावहारिक तौर पर अगर किसी प्रस्ताव पर केंद्र सरकार अपनी असहमति जताती है तो वो स्वत: खारिज हो जायेगा।