किसानों की जिद के आगे झुकी मोदी सरकार,14 महीनों के बाद तीनों कृषि कानून वापस

तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसानों की लगातर चल रही आंदोलन का असर हो या फिर उत्तर प्रदेश और पंजाब विधानसभा चुनावों का दबाव, केंद्र की मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है। प्रकाश पर्व की शुभकामनाओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार की सुबह 9 बजे अपने 18 मिनट के राष्ट्र के संबोधन में इस बात का ऐलान किया। पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को नेक नीयत के साथ लेकर आई थी,लेकिन यह बात सरकार किसानों को समझा नहीं पाई। प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार पूरी विनम्रता से किसानों को समझाते रहे,बातचीत भी निरंतर चलती रही। यहीं नहीं कृषि कानूनों के जिन प्रावधानों को लेकर किसानों ऐतराज था उसे भी सरकार बदलने को राजी हो गई थी। पीएम ने कहा कि आज गुरु नानक देवजी का पवित्र पर्व है,लिहाजा यह समय किसी को दोष देने का नहीं है। इसी महीने सरकार कृषि कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया पूरी कर लेगी।

कृषि कानूनों को संसद में पारित कर कानून बनाया गया था

तीनों नए कृषि कानूनों को 17 सितंबर 2020 को लोकसभा ने मंजूरी दी थी। इसके बाद राष्ट्रपति ने तीनों कानून के प्रस्ताव पर 27 सितंबर को हस्ताक्षर किए थे। बिल कानून बनने के बाद किसानों का आंदोलन शुरू हुआ। किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के विरोध में अपना आंदोलन तेज करने लगे। खासकर पंजाब,हरियाणा और यूपी के किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगे।पिछले 1 साल से दिल्ली -यूपी,दिल्ली-हरियाणा बोर्डर पर किसान लगातार डटे रहे।

किसानों को लेकर पीएम ने यह भी कहा

अपने संबोधन में पीएम ने कहा- मैनें किसानों की परेशानियों और चुनौतियों को करीब से देखा है। जब देश ने मुझे 2014 में प्रधानमंत्री के तौर पर देश की सेवा का मौका दिया,तो हमने किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस बात से अनजान है कि देश के 100 में से 80 किसान छोटे किसान है,जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम की जमीन है। और ऐसे किसानों की तादाद देश में करीब 10 करोड़ से भी ज्यादा है। इन किसानों के जिंदगी का आधार यही छोटी सी जमीन का टुकड़ा है। देश के किसानों की परेशानियों को दूर करने के लिए बाजार,बीमा,बीज और बचत पर चौतरफा काम किया। सरकार ने किसानों को अच्छी गुणवत्तावाली बीच के साथ नीम कोटेड यूरिया और सॉयल हेल्थ कार्ड जैसी सुविधा उपलब्ध करवाई। फसल बीमा से ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ा गया। गत चार सालों में एक लाख से भी अधिक किसानों को मुआवजा दिया। सरकार ने छोटे किसानों के लिए बीमा और पेंशन की सुविधा भी लाए। किसानों की सुविधा का ख्याल रखते हुए ही उनके खातों में 62 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गये हैं।किसानों की उपज का उचित कीमत मिले इसके लिए भी सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरूस्त किया और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया। देश की अनाज मंडियों को ई-नाम योजना से जो़ड़कर किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने का प्लेटफॉर्म दिया गया। यही नहीं पीएम ने कहा कि पहले की तुलना में देश का कृषि बजट 5 गुणा तक बढाया गया।

इन तीन कृषि कानूनों का हो रहा था विरोध

1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य(संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020- इस कानून के तहत एक ऐसा इको सिस्टम तैयार करने का प्रावधान तैयार किया गया था जिससे किसानों और कारोबारियों को मंडी के बाहर अपनी फसल बेचने और खरीदने की आजादी थी। इस कानून में जिक्र किया गया था कि राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच कारोबार को बढ़ावा दिया जायेगा। यहीं नहीं मार्केटिंग और ट्रांसपोर्टेशन खर्च को कम करने की बात भी इस कानून में कही गयी थी।

2.कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-इस कानून में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क की बात कही गई थी। इसके तहत कृषि उपजों की बिक्री,फार्म सेवाओं,कृषि बिजनेस फर्म,प्रोसेसर्स,थोक व खुदरा बिक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जोड़ा जायेगा। इसके अलावा किसानों को गुणवत्तापूर्ण वाले बीजों की आपूर्ति करना,फसल स्वास्थ्य की निगरानी,कर्ज लेने की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा देने की बात भी इस कानून में कही गई है।

3.आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020-इस कानून में अनाज,दलहन,तिलहन,खाद्य तेल,प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान किया गया है। सरकार का दावा था कि इससे किसानों को उनकी उपजा का सही मूल्य मिल पायेगा क्यों कि इससे बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।

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