गरीब या विकासशील देशों में चीनी और मिला सेरेलेक बेचती है नेस्ले,रिपोर्ट में खुलासा

हर माता पिता अपने बच्चों को बेहतर से बेहतर खान-पान की व्यवस्था करते हैं। इसके लिए वे दुनियां के सबसे अच्छे मल्टी नेशनल कंपनियों के महंगे से महंगे उत्पाद भी खरीदने को तैयार रहते है। लेकिन अगर ये एमएनसी कंपनियां ही दोहरा मापदंड के तहत अपने उत्पाद बेचेंगी तो कस्टमर क्या करे। FMCG कंपनी नेस्ले विकासशील देशों में बिकने वाले बच्चों के दूध और सेरेलेक जैसे फूड प्रोडक्ट्स में शक्कर और शहद मिलाती हैं। ज्यूरिख स्थित पब्लिक आई एंड इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में बिकने वाले छह महीने तक के बच्चों के लिए गेहूं से बने लगभग सभी बेबी फूड्स में प्रति कटोरी (1 सर्विंग) में एवरेज 4 ग्राम शुगर की मात्रा पाई गई। पब्लिक आई ने इन देशों में कंपनी के 150 प्रोडक्ट्स की जांच बेल्जियम स्थित लैब में की। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के गाइडलाइन के मुताबिक 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भोजन में कोई शुगर या मीठे पदार्थ का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

भारत में औसतन करीब 3 ग्राम चीनी की मिलावट

रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि नेस्ले भारत में करीब सबी बेबी सेरेलेक प्रोडक्ट्स के हर एक कटोरी यानी सर्विंग में औसतन 3 ग्राम चीनी की मिलावट करता है। वहीं, 6 महीने से 24 महीने तक के बच्चे के लिए बिकने वाले 100 ग्राम सेरेलेक में कुल 24 ग्राम चीनी की मात्रा मौजूद होती है। रिपोर्ट में नेस्ले पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहती है कि नेस्ले अपने प्रोडक्ट्स में मौजूद विटामिन,खनिज और अन्य दूसरे पोषक तत्वों को प्रमुखता से लिखती है लेकिन चीनी की मिलावट के मामले में कंपनी पारदर्शी नहीं हैं।

भारत में बिकने वाले सेरेलेक में ये इनग्रेडिएंट होते हैं-

सेरेलेक               प्रति 100 ग्राम

एनर्जी                     413 किलो कैलोरी

प्रोटीन                     15 ग्राम

कार्बोहाइड्रेट             68.1 ग्राम

टोटल शुगर               24 ग्राम

एडेड शुगर                7.1 ग्राम

टोटल फैट                 9.4 ग्राम

कोलेस्ट्रॉल                  12 मिलीग्राम

यूरोपीय देशों के बेबी प्रोडक्ट्स में शुगर की मिलावट नहीं

रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि न्यूबॉर्न बेबी के लिए बेचे जाने वाले पाउडर मिल्क नीडो में प्रति बोतल औसतन 2 ग्राम शुगर मिलावट किया गया है। दूसरी ओर, नेस्ले के अपने देश स्विट्जरलैंड या जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों में बिकने वाले इन्हीं उत्पादों में शुगर नहीं थी।

फिलीपींस के प्रोडक्ट्स में सबसे ज्यादा चीनी

इसमें सबसे ज्यादा फिलीपींस में 1 सर्विंग में 7.3 ग्राम शुगर मिली। वहीं, नाइजीरिया में 6.8 ग्राम और सेनेगल में 5.9 ग्राम शुगर बेबी फूड्स में देखने को मिला। इसके अलावा, 15 में से सात देशों ने प्रोडक्ट के लेवल पर शुगर होने की जानकारी ही नहीं दी।

नेस्ले कंपनी ने दी ये सफाई

रिपोर्ट आने के बाद नेस्ले के प्रवक्ता ने कहा, बेबी फूड हाइली कंट्रोल्ड कैटेगरी में आते हैं। हम जहां भी काम करते हैं, वहां के स्थानीय कानून और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हैं। इसमें लेबलिंग और शक्कर समेत कार्बोहाइड्रेट की लिमिटेशन भी शामिल है। पिछले पांच सालों में हमने शिशु अनाज रेंज (दूध और अनाज बेस्ड सप्लीमेंट्री फूड्स) में शुगर को 30% तक कम कर चुके हैं।

ज्यादा मीठी चीज खाने-पीने का बच्चों को होता है ये नुकसान 

  1. हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
  2. शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। डायबिटीज हो सकती है।
  3. अल्जाइमर का खतरा हो सकता है।
  4. दांत में कैविटीज की समस्या हो सकती है।
  5. चीनी का असर मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। इससे याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है।
  6. चीनी खाने से वाइट ब्लड सेल्स 50 फीसदी तक कमजोर होते हैं। इससे इम्यूनिटी वीक हो जाती है।
  7. नॉन अल्कोहल फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। इससे लिवर में फैट स्टोर होता है।

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