Retail Inflation: अगस्त 2024 में मामूली बढ़ोत्तरी के साथ महंगाई दर 3.65%

अगस्त 2024 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स(CPI)आधारित महंगाई दर मामूली बढ़कर 3.65% हो गई। जुलाई में यह 3.6% थी। RBI ने 2-4% का लक्ष्य रखा है।

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार के लिए राहत भरी खबर आई है। खुदरा महंगाई दर अगस्त माह में मामूली बढ़कर 3.65 फीसदी हो गई है। अगस्त में खुदरा महंगाई दर  हालांकि यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) के 4 प्रतिशत के लक्ष्य के दायरे में ही है। आपको बता दे कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर जुलाई माह में 3.6 प्रतिशत थी। यह पिछले पांच सालों में सबसे कम महंगाई दर था। गत वर्ष यानी अगस्त 2023 में सीपीआई 6.83 प्रतिशत थी। आंकड़ों पर गौर करे तो ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर अधिक रही जबकि शहरी इलाकों में महंगाई दर तुलनात्मक रुप से कम रही। अगस्त माह में ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर 5.16 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 3.14 प्रतिशत रही।

खाने-पीने के सामानों की महंगाई दर में मामूली बढ़ोत्तरी

खुदरा महंगाई दर के पूरी सूची मे करीब 50 फीसदी योगदान खाने-पीने की सामानों का होता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय(NSO) द्वारा जारी किए आंकड़ों के मुताबिक खाद्य वस्तुओं की महंगाई अगस्त माह में मामूली बढ़कर 5.66 प्रतिशत रही। जुलाई 2024 में यह 5.42 प्रतिशत थी। वहीं गत वर्ष यानी अगस्त 2023 में यह आंकड़ा 9.94 प्रतिशत रही थी। आरबीआई ने खुदरा महंगाई दर 2 प्रतिशत उपर-नीचे रखने के साथ 4 प्रतिशत रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वहीं इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन ग्रोथ की रफ्तार जुलाई में ढ़ीला रहकर 4.8 प्रतिशत रह गई। IIP के खराब प्रदर्शन के पीछे मुख्य हिस्सेदारी खनन क्षेत्र और विनिर्माण क्षेत्र की रही।

महंगाई कैसे सामान्य जीवन को प्रभावित करती है?

महंगाई का सीधा संबंध क्रय शक्ति यानी पर्चेजिंग पावर  से है। मान लीजिए कि अगर महंगाई दर 6% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 94 रुपए होगा। इसलिए महंगाई को देखते हुए ही निवेश करने की सलाह दी जाती है, नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी। कच्चे तेल, वस्तुओं की कीमतों, विनिर्माण लागत के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी खुदरा महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 300 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर खुदरा महंगाई का दर तय होता है।

आइए जानते है कि आखिर महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है

महंगाई का बढ़ना और कम होना उत्पादों यानी प्रोडक्ट की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास मुद्रा यानी रुपए ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से वस्तुओं की मांग बढ़ेगी और मांग के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन वस्तुओं की कीमत बढ़ेगी। इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। साधारण भाषा मे समझे तो बाजार में पैसों/मुद्रा का अत्याधिक बहाव(FLOW) या चीजों की शॉर्टेज (सामानों का अभाव) महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर मांग कम होगी और आपूर्ति ज्यादा होगी तो महंगाई कम होगी।

 

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