रुपया अपने रिकॉर्ड कमजोर स्तर पर पहुंचा,11 पैसे की गिरकर रुपया- 83.55 रुपये प्रति डॉलर
आयातित वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे,विदेशों में घूमना-फिरना और पढ़ाई करना महंगा होगा
इजराइल-ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण रुपया अपने रिकॉर्ड ऑल टाइम लो पर पहुंच गया है। आज यानी 16 अप्रैल को इसमें अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 11 पैसे की गिरावट देखने को मिली और यह 83.55 रुपए प्रति डॉलर के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। आपको बता दे कि इससे पहले 22 मार्च 2024 को डॉलर के मुकाबले रुपया 83.45 के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था। मामलों के जानकारों का कहना है कि इजराइल-ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण अमेरिकी डॉलर को समर्थन मिल रहा है। इसके अलावा माना जा रहा है कि कच्चे तेल के दामों में तेजी से भी डॉलर को मजबूती मिल रही है।
रुपये की कमजोरी का आयातित वस्तुओं पर असर
रुपए में गिरावट का मतलब है कि दूसरे देशों से भारत के लिए आयात होने वाले सामानों महंगा होना है। इसके अलावा विदेश में घूमना और पढ़ना भी महंगा हो गया है। मान लीजिए कि जब डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू 60 थी तब अमेरिका में भारतीय टूरिस्ट या छात्रों को 60 रुपए में 1 डॉलर मिल जाते थे। अब 1 डॉलर के लिए पर्यटकों और छात्रों को 83.55 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। इससे फीस से लेकर रहना-खाना और अन्य चीजें खरीदना महंगी हो जाएंगी।
कमजोर रुपया का इन पर भी असर
डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी से पेट्रोलियम और सोने के दाम बढ़ेंगे। क्योंकि देश में उपभोग होने वाले पेट्रोलियम पदार्थ का करीब 80 फीसदी हिस्सा आयात किया जाता है। ठीक वैसे ही आयातित सोना भी काफी महंगा हो जायेगा। अपने देश में विदेशी निवेश भी प्रभावित हो सकता है। आयातित वस्तुओं के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ सकती है। जबकि निर्यातकों को इससे फायदा मिलेगा। व्यापारियों के लिए निर्यात से ज्यादा मुनाफा होगा। विदेशी पर्यटकों के लिए भारत घूमना और पढ़ाई करना और सस्ता हो जाएगा। भारतीय मेडिकल टूरिज्म को भी इससे फायदा होगा। विदेश में रह रहे भारतीयों द्वारा डॉलर भेजने पर उनके परिवार वालों को ज्यादा रुपया मिलेगा। चूंकि भारत निर्यात कम और आयात अधिक करता है लिहाजा ओवऑल इससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान अधिक होगा।