बैंक जमाकर्ताओं की जमा धन की सुरक्षा करना एक बैंकर के लिए किसी मंदिर या गुरुद्वारे में जाने से कहीं अधिक पुण्य का काम

बैंक जमाकर्ताओं की जमा धन की सुरक्षा करना एक बैंकर के लिए किसी मंदिर या गुरुद्वारे में जाने से कहीं अधिक पुण्य का काम है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 25 सितंबर को शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के निदेशकों को संबोधित करते हुए मुंबई में यह बात कही। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आरबीआई की भी यह जिम्मेदारी है कि वह जमाकर्ताओं के धन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बैंकों के साथ मिलकर काम करे। उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्रीय बैंक लगातार नियामक और निगरानी के उपाय करता है।

सकल गैर निष्पादित आस्तियां (जीएनपीए) और पूंजी पर्याप्तता पर स्थिति ‘‘बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं’

आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि कहा कि समग्र स्तर पर कुल तस्वीर अच्छी दिखती है। लेकिन सकल गैर निष्पादित आस्तियां (जीएनपीए) और पूंजी पर्याप्तता पर स्थिति ‘‘बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं’’ है। उन्होंने कहा कि यूसीबी में कुल गैर-निष्पादित संपत्तियां 8.7 प्रतिशत हो गई हैं। इसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं माना जा सकता और ना ही यह संतोषजनक स्तर पर है। जबकि वाणिज्यिक बैंकों का जीएनपीए मार्च, 2023 में दशक के सबसे बेहतर स्तर 3.9 प्रतिशत पर था और व्यापक रूप से इसमें और सुधार होने का अनुमान है। एनपीए संकट से बेहतर ढंग से निपटने के लिए आरबीआई गवर्नर ने नसीहत दी है कि बेहतर आकलन के साथ क्रेडिट जोखिम प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। सहकारी बैंकों के निदेशकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे ऋणदाताओं को काम करने के तरीके में सुधार करना चाहिए, संबंधित-पक्ष से लेनदेन से बचना चाहिए और अन्य बातों के अलावा कर्ज जोखिमों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

विल्फुल डिफॉल्टर से ऐसे निपटे बैंक

आर्थिक राजधानी मुंबई में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि इसी तरह ऐसे भी मामले हैं कि जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले कई ऐसे व्यक्ति या व्यवसाय हैं जिनके पास भुगतान करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि बकाया ऋण का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा शीर्ष 20 इरादतन चूककर्ताओं का है। इसपर ध्यान केंद्रित करने से समग्र एनपीए में सुधार करने में मदद मिल सकती है। साथ ही आरबीआई गवर्नर ने सुझाव दिया कि यूसीबी को परिसंपत्ति-देनदारी में विसंगतियों की निगरानी करने, पारदर्शी लेखांकन व्यवहार का पालन करने और आवश्यकताओं तथा खर्च करने की क्षमता के आधार पर लोगों की भर्ती करने को भी कहा।

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