उन्नत खेती के लिए लैब से लैंड को जोड़ने की जरूरत-शिवराज सिंह
देश की 145 करोड़ आबादी के लिए उपलब्ध करवाएंगे पोषणयुक्त आहार

देश की आबादी के लिए पर्याप्त कृषि उत्पादन, कृषि निर्यात और किसानों की आय में लागत के अनुपात में बढ़ोत्तरी, केंद्र की मोदी सरकार का संकल्प है। इसी कड़ी में सरकार लगातार प्रयास कर रही है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बंगलुरु में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत किसानों से संवाद किया। शिवराज सिंह ने कहा कि शोध के क्षेत्र में वैज्ञानिकों के प्रयास सराहनीय हैं। बेंगुलरु ग्रामीण और आसपास के क्षेत्रों में बागवानी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। किसानों ने स्वयं भी कई प्रकार के शोध व प्रयोग करके कृषि नवाचार में नए अध्याय जोड़े हैं।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि आज उन्होंने बंगलुरू में ड्रैगन फ्रूट (कमलम) की खेती देखी, इसके बारे में किसानों ने अनुभव भी साझा किए। किसानों ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में पहले दो वर्ष तक ज्यादा फायदा नहीं होता, लेकिन तीसरे साल के बाद 6 से 7 लाख रुपये आसानी से कमाए जा सकते हैं। कृषि मंत्री ने टमाटर के खेतों का भी भ्रमण किया, टमाटर उत्पादन करने वाले किसानों ने ही बताया कि कई बार कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद भी 3 से 4 लाख रुपये प्रति एकड़ की कमाई की जा सकती है।
खेती से सीधे कृषि वैज्ञानिकों को जोड़ना समय की मांग
शिवराज सिंह ने कहा कि ‘लैब से लैंड’ जुड़ना जरूरी है। रिसर्च की रीयल टाइम में किसानों तक पहुंच हो, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। जलवायु और क्षेत्र की विशेषता के अनुसार फलों, सब्जियों और फसलों की उपज की सही जानकारी किसानों तक पहुंचनी चाहिए।
विकसित भारत के लिए विकसित कृषि की जरूरत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक ‘विकसित भारत’ की परिकल्पना की है, इसलिए विकसित भारत के लिए विकसित कृषि और समृद्ध किसान जरूरी है। बिना कृषि के विकास संभव नहीं है। आज भी 50 प्रतिशत आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। जीडीपी में 18 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी कृषि क्षेत्र की है। साथ ही इस वर्ष चौथी तिमाही में जीडीपी की विकास दर 7.5 प्रतिशत है, जिसमें कृषि का योगदान 5.4 प्रतिशत है। कृषि में 1 या 2 प्रतिशत की विकास दर बड़ी मानी जाती है। उस लिहाज में यह समझा जा सकता है कि किस प्रकार हम कृषि क्षेत्र में उन्नति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
शिवराज सिंह ने कहा कि हमें चार प्रमुख लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ना होगा, 145 करोड़ आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा, पोषणयुक्त आहार
किसानों के लिए कृषि क्षेत्र को लाभ में बदलना, मिट्टी की उर्वरक क्षमता को सुरक्षित रखना। शिवराज सिंह ने कहा कि इन्हीं निर्धारित लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की शुरुआत की गई है। इसके अंर्तगत ‘लैब को लैंड’ से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। वैज्ञानिक गांव-गांव जाकर वहां की क्षेत्र विशेष की जानकारियों के आधार पर, मिट्टी की उर्वरकता की आवश्यकतानुसार, जलवायु व अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए किसानों को सही किस्मों व पद्धति के जरिए कृषि में उत्पादन बढ़ाने की जानकारी दे रहे हैं।
गुणवत्ताहीन बीज और कीटनाशक बनानों वालों की खैर नहीं
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने नकली बीजों, उर्वरकों, कीटनाशकों के प्रति चिंता जताते हुए कहा कि गुणवत्ताहीन बीज या कीटनाशक बनाने वालों के प्रति सरकार सख्ती से पेश आएगी। कानून बनाया जा रहा है। ऐसे अपराधों में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कृषि मंत्री ने कहा कि इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि 16 हजार वैज्ञानिक खेतों में किसानों के पास जाकर शोध की जानकारी दे रहे हैँ। ‘एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम’ विजन के साथ हम सभी को साथ मिलकर आगे बढ़ना होगा। सम्मिलित प्रयासों से भारत को विश्व का ‘फूड बास्केट’ बनने से कोई रोक नहीं सकेगा। भारत अपनी जरूरतें भी पूरी करेगा और विदेशों में निर्यात की दिशा में भी परचम लहराएगा। उन्होंने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा। किसानों की समृद्धि के लिए हरसंभवन प्रयास किए जा रहे हैं। किसान सीधे अपनी उपज बेच सके, बिचौलियों की भूमिका कम हो, इन्हीं सब पहलुओं को देखते हुए बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) बनाई गई है।
शिवराज सिंह ने कहा कि आलू, प्याज और टमाटर इन तीन फसलों के लिए यदि कोई किसान कम कीमत के कारण अपने क्षेत्र की जगह बड़े शहरों या ऐसे राज्यों जहां उनकी उपज की कीमत अधिक है, वहां ले जाकर अपनी फसल को बेचना चाहे तो ऐसी स्थिति में परिवहन में होने वाली परिचालन लागत का खर्चा केंद्र सरकार द्वारा उठाया जाएगा। ऐसा तालमेल करने से किसानों को भी उचित दाम मिल जाएगा और जिस क्षेत्र में दाम अधिक है वहां उत्पादन पहुंचने से दाम भी संतुलित हो जाएंगे। अगर भंडारण को लेकर भी सहायता की आवश्यकता होगी तो केंद्र द्वारा आर्थिक मदद दी जाएगी। यह योजना इसी साल निर्मित की गई है और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में ऐसे ही अन्य कई प्रयास किए जा रहे हैं।
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केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि कृषि मंत्री, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, कृषि विज्ञान केंद्र व अन्य उपक्रमों से जुड़े प्रत्येक वैज्ञानिक की असली जिम्मेदारी यही है कि किसानों तक शोध की सटीक जानकारी सही समय में पहुंचे। केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों को नसीहत देते हुए कहा कि सिर्फ पारंपरिक खेती पर निर्भर ना रहें। आगे बढ़ते हुए कृषि विविधिकरण, प्रोसेसिंग का मार्ग भी चुनें। निर्यात के लिए गुणवत्तापूर्ण उत्पादों की दिशा में भी कदम बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार हरसंभव तरीके से कृषि को किसानों के लिए फायदे में बदलने की कोशिश कर रही है। हर स्थिति में सरकार किसानों के साथ खड़ी है। किसानों की समृद्धि ही हमारा लक्ष्य है।
इस अवसर पर सांसद व पूर्व मंत्री एम.सी. सुधाकर, अन्य जनप्रतिनिधि, संस्थान के पदाधिकारी, वैज्ञानिक, विद्यार्थी व किसान उपस्थित थे।