देश में दाल और तेल की नहीं होगी कमी, पैदावार बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने किया यह ऐलान

देश में दाल और तेल की नहीं होगी कमी, पैदावार बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने किया यह ऐलान

महंगाई वह स्थिति जो ना सिर्फ आम आदमी का बजट बिगाड़ देती है,बल्कि कई बार सरकारे तक गिर जाती है। आप जब अपने रसोई के लिए तेल या दाल खरीदने बाजार जाते है और पाते है कि इन खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ गए है तो आपको अपने बजट से समझौता करना पड़ता है। ऐसा इसलिए होता है क्यों कि एक तो देश में इन फसलों का पैदावार कम होता है वहीं दूसरी तरफ अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशों से महंगी कीमत पर इनका आयात करना होता है। इन समस्याओं को स्थायी तौर पर दूर करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने एक बड़ी पहल की है। केंद्र सरकार का मानना है कि उच्च और अच्छे गुणवत्ता वाले बीजों के इस्तेमाल से इन फसलों की उत्पादकता करीब 20 से 25 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। लिहाजा केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि किसानों के लिए वह दलहन और तिलहन के बीज मिनीकिट उपलब्ध करायेगी। सरकार का मानना है कि इस पहल से किसानों की आय बढ़ाने के साथ साथ देश की अर्थव्यवस्था भी दुरुस्त होगी

इन क्षेत्रों के किसानों को मिलेगा सीधा फायदा

जिन राज्यों में कमजोर मॉनसून रहा है यानी कि सामान्य से कम बारिश हुई है,वहां के किसानों को सरकार रबी फसल 2022-23 के लिए दलहन और तिलहन के बीज मिनीकिट मुहैया करायेगी। बुआई में देरी ना हो इसके लिए सरकार राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) और नेफेड जैसी केंद्रीय एजेंसियों किसानों को मिनीकिट दी जायेगी।

इन वजहों से सरकार ने लिया यह फैसला

किसानों को तेलहन और दलहन बीजों के मिनीकिट मुहैया कराये जाने के पीछे केंद्र सरकार का मानना है कि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों के बीच नये फसल किस्मों की लोकप्रियता बढ़ाई जा सकेगी। उत्तर प्रदेश,बिहार,झारखंड और मध्य प्रदेश व पश्चिम बंगाल के उन हिस्सों में ये मिनीकिट उपलब्ध करायी जायेगी जहां कम वर्षा हुई है। यहीं नहीं महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में रेपसीट और सरसों के गैर-पारंपरिक क्षेत्रों को भी इसके जद में लाया जा सके। इसके अलावा तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे दक्षिणी राज्यों के लिए मूंगफली के रूप में प्रमुख रबी तिलहन और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान में अलसी जैसे छोटे तिलहन और महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में कुसुम वितरित करने की भी योजना तैयार है।

इन राज्यों में मिनीकिट देने की शुरूआत हो चुकी है

2022-23 के लिए केंद्र सरकार ने दलहन को बढ़ावा देने के लिए, 11 राज्यों को मसूर और उड़द के 4.54 लाख बीज मिनीकिट और मसूर के 4.04 लाख बीज मिनीकिट आवंटित किए चुका हैं। ये मिनीकिट उन क्षेत्रों में दिए गए जहां सामान्य से कम बारिश हुई है। बारिश की कमी वाले क्षेत्रों में जल्दी बुवाई के मकसद से उत्तर प्रदेश (1,11,563 लाख संख्या), झारखंड (12,500 लाख संख्या) और बिहार (12,500 लाख संख्या) का वितरण किया जाना है। यह वर्षा की कमी वाले इन तीन राज्यों के लिए कुल आवंटन का 33.8 प्रतिशत और पिछले वर्ष की तुलना में 39.4 प्रतिशत अधिक है।

तूर और मसूर दाल की पैदावार बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की यह अहम कार्यक्रम

तूर और मसूर दाल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सरकार  2022-23 तक एक विशेष कार्यक्रम (टीएमयू 370) ‘तूर मसूर उड़द – 370’ भी लागू कर रही है, जिसके माध्यम से मसूर के तहत 120 जिलों और उड़द के तहत 150 जिलों को अधिकतम कवर प्रदान करके इन लक्षित जिलों में दलहनी फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करने का लक्ष्य रखा गया है।तिलहन को बढ़ावा देने के लिए लगभग 8.3 लाख बीज मिनीकिट वितरित की जा रही है। विभिन्न फसलों पर 39.22 करोड़ रुपए की लागत है। इनमें सरसों (10.93 करोड़ रुपये मूल्य की 575000 मिनीकिट), मूंगफली (16.07 करोड़ रुपये मूल्य की 70500 मिनीकिट), सोयाबीन (11.00 करोड़ रुपये मूल्य की 125000 मिनीकिट), कुसुम (0.65 करोड़ रुपये मूल्य की 32500 मिनीकिट) और अलसी (0.57 करोड़ रुपए मूल्य की 26000 मिनीकिट) शामिल हैं। ये मिनीकिट किसानों को मुफ्त में दी जाएगी। गौरतलब है कि सरकार ने रबी 2021-22 के विशेष सरसों मिशन को लागू किया। इसके परिणामस्वरूप इसकी खेती के रकबे में 20 प्रतिशत और उत्पादन में 15 प्रतिशत वृद्धि हुई। इस वर्ष (2022-23), विशेष कार्यक्रम के तहत 18 राज्यों के 301 जिलों में रेपसीड और सरसों के 2653183 बीज मिनीकिट के वितरण के लिए 50.41 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

2014-15 के बाद से ही इन फसलों की पैदावार बढ़ाना,केंद्र सरकार की प्राथमिकता

तेलहन और दलहन फसलों के मोर्चे पर भी भारत आत्मनिर्भर बन सके इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार सत्ता में काबिज होते ही वर्ष  2014-15 से तिलहन और दलहन के उत्पादन को बढ़ाने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित कर रही है। इन प्रयासों के अच्छे परिणाम भी मिले हैं। तिलहन उत्पादन 2014-15 में 27.51 मिलियन टन से बढ़कर 2021-22 में 37.70 मिलियन टन (चौथा अग्रिम अनुमान) हो गया है। दलहन उत्पादन में भी इसी तरह का इजाफा देखने को मिला है। बीज मिनीकिट कार्यक्रम किसानों के खेतों में बीजों की नई किस्मों को उपलब्ध करने का एक प्रमुख साधन है और साधारण बीज के स्थान पर उन्नत बीज का इस्तेमाल बढ़ाने में सहायक है। आंकड़ों पर गौर करे तो पिछले 3 वर्षों में दलहन और तिलहन की उत्पादकता में काफी वृद्धि हुई है। दलहन के मामले में उत्पादकता 727 किग्रा/हेक्टेयर (2018-19) से बढ़ाकर 980 किग्रा/हेक्टेयर (चौथा अग्रिम अनुमान, 2021-22) अर्थात 34.8 प्रतिशत वृद्धि हुई है।इसी प्रकार तिलहन फसलों में उत्पादकता 1271 किग्रा/हेक्टेयर (2018-19) से बढ़कर 1292 किग्रा/हेक्टेयर (चौथा अग्रिम अनुमान, 2021-22) हो गई है।

 

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