EMI में लोगों को मिलेगी राहत या हाथ लगेगी निराशा,अब से कुछ ही देर में मौद्रिक नीति कमिटी के फैसले का ऐलान

चालू वित्त वर्ष के पहले समीक्षा बैठक में रेपो रेट रह सकता है अपरिवर्तित

नए वित्त वर्ष 2024-25 में RBI की पहली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक का फैसला आज आने वाला है। दरअसल, बुधवार यानी 3 अप्रैल से तीन दिवसीय MPC की बैठक चल रही है। आज रेपो रेट सहित कई बिंदुओं पर फैसला लिया जायेगा। अगर किसी तरह का बदलाव होता है तो इसका सीधा असर लोगों के लोन के इएमआई पर देखने को मिलेगा। इससे पहले आरबीआई ने लगातार छह बार से रेपो रेट को स्थिर बनाए हुए है। जानकारों की माने तो आज भी आरबीआई प्रमुख उधार दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं करेगी। हालांकि इससे पहले भी कई बार आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास रेपो रेट में बदलाव कर सबको चौंका चुके है।

एसबीआई रिपोर्ट ने पहले ही दे दिए है ये संकेत

एसबीआई की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति कमेटी चालू वित्त वर्ष के अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में रेपो रेट में कटौती करने का फैसला कर सकती है। देश के सबसे बड़े पीएसयू बैंक ने कहा कि साधारण तौर पर अमेरिका और ब्रिटेन जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में रेट में बदलाव के करीब 2 महीनों के बाद ही उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं ब्याज दरों में बदलाव करती है। एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई फिलहाल अपना स्टैंड नहीं बदलेगा। इसके पीछे ईंधन और खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव बने रहना का कारण है।

फरवरी 2023 में किए गए थे आखिरी बार बदलाव

आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी 2023 में ब्याज दरें 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था। यह स्थिति अब तक बरकरार है। आरबीआई ने इससे पहले फरवरी 2024 में हुई बैठक में ब्याज दरों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की थी।

क्या है रेपो रेट,रेपो रेट और इएमआई के बीच है सीधा कनेक्शन

रेपो रेट वो रेट होती है जिस पर आरबीआई से बैंकों को कर्ज मिलता है। इसी तरह जब रेपो रेट बढ़ता है तो कर्ज लेना महंगा हो जाता है। आरबीआई रेपो रेट घटाता है तो बैंक भी ब्याज दरों को कम कर देते हैं। मई 2022 से अब तक 2.5 फीसदी ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की गई है। 27 मार्च 2020 को रेपो रेट 4.4 फीसदी थी जो फिलहाल 6.5 फीसदी पर बनी हुई है।

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