4 महिनों में सबसे कम 1.31% थोक महंगाई

अगस्त में महंगाई घटकर 1.31%,खाने-पीने और रोजमर्रा की चीजों के दाम घटने से कम हुआ महंगाई

रोजमर्रा की चीजों के दाम घटने से अगस्त महीने में थोक महंगाई घटकर 1.31% पर आ गई है। ये इसके 4 महीने का निचला स्तर है। यानी मई माह के बाद सबसे निचले स्तर पर आई है महंगाई दर। आपको बता दे कि अप्रैल में ये 1.26% पर थी। वहीं जुलाई में थोक महंगाई घटकर 2.04% पर आ गई थी। इससे पहले 12 सितंबर को केंद्र सरकार ने खुदरा महंगाई के आंकड़े जारी किए गए थे। अगस्त महीने में खुदरा महंगाई बढ़कर 3.65% हो गई है। जुलाई महीने में ये 3.54% पर थी। सब्जियों के महंगे होने से अगस्त महीने में खुदरा महंगाई बढ़ गई थी।

खाने-पीने की चीजों के दाम घटे

केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा जारी आंकड़ों पर गौर करे तो रोजमर्रा वाले सामानों की महंगाई दर 3.08% से घटकर 2.42% हो गई। खाने-पीने की चीजों की महंगाई 3.55% से घटकर 3.26% हो गई। वहीं ईंधन और ऊर्जा की थोक महंगाई दर 1.72% से घटकर -0.67% रही। विनिर्माण उत्पादों की थोक महंगाई दर 1.58% से घटकर 1.22% रही।

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थोक महंगाई के तीन हिस्से होते हैं

प्राइमरी आर्टिकल का हिस्सा 22.62% है। फ्यूल एंड पावर का हिस्सा 13.15% और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट का हिस्सा सबसे ज्यादा 64.23% है। यहीं नहीं प्राइमरी आर्टिकल के भी चार हिस्से हैं।1. फूड आर्टिकल्स जैसे अनाज, गेहूं, सब्जियां 2. नॉन फूड आर्टिकल में ऑइल सीड आते हैं। 3. मिनरल्स और 4. क्रूड पेट्रोलियम।

भारत में दो महंगाई इंडेक्स-थोक और खुदरा महंगाई इंडेक्स

भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है।महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 22.62% और फ्यूल एंड पावर 13.15% होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86%, हाउसिंग की 10.07% और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है।

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